27 साल से अधिक का समय हो गया है, 28वा साल चल रहा है
देश की सुप्रीम कोर्ट ने भी मुँह मोड़ दिया है
देश के सेकुलरों और वामपंथियों ने तो कभी मुलाकात भी नहीं की है, हम अपने घरों में वापस कब जायेंगे, ये कैसा सेकुलरिज्म है
ये कहना है दिल्ली के झोपड़पट्टी में रह रहे कश्मीरी हिन्दू कैलाश नाथ रैना का
वो कहते है की, रोहिंग्या तो जम्मू कश्मीर में बसाये जा रहे है, पर हमारा विरोध किया जाता है
फारुख अब्दुल्ला जैसे लोग कहते है की कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर नहीं आने देंगे वरना डेमोग्राफी बदल जाएगी
सिर्फ 1 कैलाश नाथ रैना ही नहीं, 5 लाख से अधिक कश्मीरी हिन्दू अपने घरों से दूर है
28वा साल चल रहा है, कइयों की तो इस आस में मौत भी हो गयी की वो कभी अपने पूर्वजों के घरों में अपने कश्मीर में वापस जा सकेंगे
कैलाश नाथ रैना जैसों के लिए कोई सेक्युलर और बुद्धिजीवी कभी आगे नहीं आया
जो लोग रोहिंग्यों को न्याय दिलाने निकले है, उन्होंने कभी कोशिश भी नहीं की, दिल्ली में ही कश्मीर के रेफुजियों से भी मुलाकात कर ली जाये, वो किस हालात में है वो देखा जाये
इनके पास कश्मीर में जमीन जायदात, सेब के बागान सब थे
जिसपर अब स्थानीय कट्टरपंथियों का कब्ज़ा है, ये अपने ही देश में अत्याचार के शिकार है, 28 साल से न्याय नहीं मिला
क्यूंकि ये हिन्दू है, और सेक्युलर तथा वामपंथियों के लिए हिन्दू इंसान नहीं है